हाइड्रोपोनिक्स - किसानों का जीवन बदल सकता है - उत्तरप्रदेश के धीरज वर्मा ने हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग करके केवल दो महीने में तीन लाख रुपए कमाए।
उत्तरप्रदेश के धीरज वर्मा ने हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग करके केवल दो महीने में तीन लाख रुपए कमाए।
हाइड्रोपोनिक मिट्टी रहित कृषि तकनीक है, जिसका उपयोग इज़राइल में होता है। धीरज वर्मा को कुछ साल पहले टेलीविजन के एक कार्यक्रम से इसकी जानकारी मिली थी। उन्होंने देखा कि किस प्रकार इज़राइल के किसान मिट्टी की आवश्यकता के बिना कुशलतापूर्वक फसल उगा रहे हैं। इस कार्यक्रम से वह प्रभावित हुए और उनको भी इस अभिनव प्रयोग को करने की प्रेरणा मिली।
उन्हें लगा कि जब इज़राइल शुष्क जलवायु और सीमित जल संसाधन के बावजूद ऐसी खेती करके प्रगतिशील देशों की श्रेणी में आ सकता है तो वे ऐसा क्यों नहीं कर सकते।
धीरज वर्मा आश्चर्यचकित थे कि इज़राइल एक एकड़ भूमि में जो भी उगाते थे, उसे कई देशों में निर्यात कर सकते थे और वह दस एकड़ जमीन के मालिक होने के बाद भी अपनी फसल अगले गाँव तक नहीं बेच पा रहे थे, दूसरे देशों की बात तो बहुत दूर थी।
धीरज इस तकनीक से इतने अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने हाइड्रोपोनिक्स खेती से संबंधित अनेक वीडियो देखे। उन्होंने गेहूँ, मक्का और चावल जैसी पारंपरिक खेती के लिए प्रसिद्ध अपने गाँव मीनापुर, बाराबंकी में हाइड्रोपोनिक्स का उपयोग कर स्ट्राबेरी की खेती की और दो महीने के अंदर ही तीन लाख रुपए की बिक्री कर ली।
हाइड्रोपोनिक खेती मिट्टी के बिना फसल उगाने का एक अभिनव और कुशल तरीका है।
समस्याएँ चार, समाधान एक
धीरज वर्मा स्नातक ( बी.एससी.) हैं और पारंपरिक तरीकों से ही पिछले 13 वर्षों से खेती कर रहे हैं। वे अपनी आधी पाँच एकड़ की जमीन पर स्ट्राबेरी उगाते थे, जिसकी प्रक्रिया बोझिल थी और उसमें कई समस्याएँ थीं, जैसे - निराई-गुड़ाई की समस्या। इस काम के लिए मजदूरों को लगाना पड़ता था, जिसमें खर्च बहुत होता था। खरपतवार हटाने की मजदूरी में ही 50,000 रुपए का खर्च आ जाता था। इन सबसे बचने के लिए उन्होंने हाइड्रोपोनिक खेती अपनाने पर विचार किया और 2021 में इस विधि का प्रशिक्षण लेने मध्यप्रदेश के धाकड़ ब्रदर्स के पास पहुँचे।
उन्होंने जाना कि हाइड्रोपोनिक्स खेती में एक फसल को दिए जाने वाले 13 पोषक तत्व पानी के माध्यम से दिए जाते हैं।ये सभी तत्व पौधों की वृद्धि के लिए एक आवश्यक उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं। ये तत्व हैं- प्राथमिक पोषक तत्व जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम, द्वितीयक पोषक तत्व जैसे कैल्शियम, सल्फर और मैग्नीशियम और तृतीयक पोषक तत्व जैसे लोहा, जस्ता, मैगनीज, ताँबा, बोरान, मोलिब्डेनम और क्लोरीन।
धीरज को इसकी जानकारी तो थी, पर सही अनुपात उन्होंने प्रशिक्षण के द्वारा ही सीखा।
छोटी जगह में 5 गुना अधिक उत्पादन
इसके बाद वापस गाँव आकर उन्होंने अपने खेत के 3500 वर्ग फुट पर हाइड्रोपोनिक्स सेटअप बनाया और कोको पीट को माध्यम बनाकर स्ट्राबेरी के 9,000 पौधे लगाए।
एक गरीब किसान के बेटे ने UPSC में अपना सपना पूरा किया, 239वीं RANK
उन्होंने ग्रो बैग्स का इस्तेमाल किया और पानी की आपूर्ति के लिए उसमें चार ड्रिपर्स जोड़े और जल निकासी के लिए चार छोटे छेद बनाए। पौधों को पानी के साथ सभी पोषक तत्व प्रदान किए। पौधों को पानी एक सप्ताह के अंतराल पर दिया। इस सबमें उन्हें डेढ़ महीने और 12 लाख रुपए लगे। यह एक बार का निवेश है, फिर पाँच साल तक सिस्टम के रखरखाव की चिंता नहीं करनी होती।
धीरज ने दो महीने के भीतर 5 टन स्ट्राबेरी का उत्पादन किया और उससे 3 लाख रुपए कमाए। पारंपरिक खेती की तुलना में हाइड्रोपोनिक्स से पाँच गुना अधिक उत्पादन हुआ।
स्ट्राबेरी पर कीटों और फंगस का हमला अधिक होता है, उससे बचने के लिए उन्होंने दही से फफूँदनाशक तैयार किया। इस फफूँदनाशक की विधि उनके ही शब्दों में-" एक लीटर दही में 50 ग्राम ताँबे के तार या ताँबे का लोटा (गोलाकार बर्तन) मिलाएँ। सामग्री को कम-से-कम 15 दिनों तक रखें जब तक कि सामग्री पूरी तरह से नीली न हो जाए। इस मिश्रण का 2 मिलीलीटर लें और इसे 1 लीटर पानी में पतला करें। पूरे मौसम में प्रति सप्ताह एक बार फसलों पर इस पतले पदार्थ का छिड़काव करें। यह कवक के हमले से निपटता है और अच्छी उपज देता है ।"
धीरज वर्मा से प्रेरित होकर अन्य किसान भी हाइड्रोपोनिक्स खेती कर सकते हैं। इस खेती से कम स्थान पर अधिक उत्पादन करके लाभ कमाया जा सकता है।
धीरज स्वयं कहते हैं-" यह तकनीक कोई रॉकेट साइंस नहीं है, कोई भी अनपढ़ किसान मेरी तरह हाइड्रोपोनिक्स से अच्छा मुनाफा कमा सकता है।”
Story Written by Dr.Meeta Mathur
source of story and photos: https://www.thebetterindia.com/
Comments
Post a Comment